जब शंकराचार्य ने विवेकानंद को शूद्र बताकर 1893 के शिकागो विश्व धर्म संसद में ब्राह्मण-वैदिक धर्म, वेद और वेदांत पर व्याख्यान देने के लिए अधिकृत करने से मना कर दिया, तब विश्व धर्म संसद शिकागो में पहुंचे महानतम बौद्ध भिक्षु अनागारिक धम्मपाल जी ने ही अपने समय में से 5 मिनट का समय देकर विवेकानंद जी को शिकागो धर्म संसद में बोलने का अवसर दिलाया।
विवेकानंद ने अपना भाषण प्राचीन भारत के महान बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन के शून्यवाद पर दिया। (Chicago Parliament of World Religions)
दूसरे जैन धर्म के प्रतिनिधि वीरचंद गांधी भी धर्म संसद में गए थे जिन्होंने अपने समय में से 1 मिनट भी विवेकानंद को नहीं दिया, क्योंकि वीरचंद गांधी भी विवेकानंद जी को शूद्र मानते थे।
जो लोग आज शूद्र विवेकानंद जी को अपना आदर्श मानते नहीं थकते इन्होंने उनके जीते जी उनके जीवन को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अंत में शूद्र विवेकानंद को बुद्ध की ही शरण ग्रहण करनी पड़ी, अंत में विवेकानंद को लिखना पड़ा कि ब्राह्मणवाद को पैरों के तले रौंद डालना चाहिए।
शूद्र, अछूत को प्रताड़ित करना ही संपूर्ण ब्राह्मण वैदिक दर्शन का निचोड़ है, शूद्र जितनी जल्दी यह बात समझ लेंगे उतना अच्छा है।
लड़ाई हिंदू और बौद्ध की नहीं है। लड़ाई हिंदू के अंदर चल रही है और लड़ाई ब्राह्मणवाद और बौद्धवाद की है।
आज उस महान व्यक्ति की जयंती है जिसने कायस्थ परिवार से आने वाले शूद्र विवेकानंद को विश्व धर्म संसद में बोलने का अवसर दिया जिसने अपने समय में से 5 मिनट का समय देकर स्वामी विवेकानंद को अपने साथ अमर कर दिया।
विश्व धर्म संसद में सर्वश्रेष्ठ भाषण देने वाले अनागारिक धम्मपाल आज भी विश्व भर में याद किए जाते हैं। अनागारिक धम्मपाल के विचार सुनकर धर्म संसद के प्रतिनिधि भौचक के रह गए थे कि दुनिया में बुद्ध जैसे महान दार्शनिक भी पैदा हुए हैं। अनागारिक धम्मपाल के भाषण के पश्चात दुनिया भर के विद्वानों ने माना कि बुद्ध के विचार दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विचार हैं जिनके माध्यम से दुनिया में शांति और समता कायम की जा सकती है।
अनागारिक धम्मपाल जी ने प्राचीन भारतीय धर्मस्थलों को जिसमें महाबोधि मंदिर भी शामिल है ब्राह्मण पुजारियों से मुक्त कराने में बड़ी भूमिका निभाई। बौद्ध स्थलों को मुक्त करने की प्रक्रिया में कई बार उनके ऊपर ब्राह्मण पुजारी के द्वारा हमले किए गए, उनकी जान लेने का प्रयास किया गया। (Chicago Parliament of World Religions)
आपकी ही पहल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का गठन किया गया और लॉर्ड कनिंघम को भारत में खुदाई करने के लिए भेजा गया जिसे प्राचीन भारत के इतिहास को खोदकर मनुवादी और पौराणिक कथावादियों की पोल खोल कर रख दी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के गठन की मांग को लेकर अनागारिक धम्मपाल लंदन गए थे जहां उन्होंने ब्रिटिश सरकार से विशेष मांगकर प्राचीन भारत के इतिहास को उजागर करने की मांग की थी।
अपने श्रीलंका में रहकर महाबोधि सोसाइटी क्या गठन किया जिसका काम आपके द्वारा कोलकाता तक फैलाया गया कोलकाता में ही विवेकानंद आपसे मिले थे।
Indus News 24×7 की तरफ से ऐसे महापुरुष को उनकी जयंती पर शत-शत नमन एवं देशवासियों को हार्दिक बधाई।💞
~संतोष शाक्य, Indus News 24×7