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Tuesday, April 1, 2025
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कुत्तों के वर्चस्व वाली दुनिया में बिल्लियों की खामोश दस्तक

दिनेश श्रीनेत


कुत्तों के वर्चस्व वाली इस दुनिया में बिल्लियों ने बड़ी खामोशी से अपने लिए जगह बनाई है. एक समय था जब हर कहीं कुत्तों के बारे में बातें होती थीं. इतिहास कुत्तों का था, किताबों और कहानियों में कुत्तों की कहानियां दर्ज़ होती थीं और फिल्मों में भी वही नज़र आते थे. कुत्ते तस्वीरों और पोस्टरों में थे और यहां तक कि सोशल मीडिया में भी. बिल्लियां बेचारी छत की मुंडेरों, बालकनी या घुमावदार सीढ़ियों में सिमटी हुई थीं. (Cats Make Big Silent)

यहां तक कि सिनेमा में भी बिल्लियों का बड़ा ही स्टीरियोटाइप इस्तेमाल किया जाता था. हॉरर फिल्मों में वे भय-संचार के बीच अचानक हास्य पैदा करने के लिए होती थीं. जैसे दरवाजा खुलने पर अचानक बिल्ली का सामने आ जाना. बहुत बार वे रहस्य पैदा करने का काम करती थीं.

सिनेमा और टीवी में काफी समय तक बिल्लियां खलनायक बनी रहीं. बड़े तो बड़े, बच्चों के मन में भी पूर्वाग्रह डाल दिया जाता था. ‘टॉम एंड जेरी’ में हमारी सहानुभूति जेरी चूहे के साथ ही रहती थी. टॉम बिल्ले की अक्सर ठुकाई-पिटाई ही होती थी. फ़िल्म ‘कैट्स एंड डॉग्स’ में तो वे दुनिया पर कब्ज़ा करने की फिराक़ में रहती हैं. फ़िल्मवालों के हिसाब से भला हो वफ़ादार कुत्तों का जो उनकी नाक में दम किए हुए हैं नहीं तो हम सब गुलाम ही होते. बेचारे स्टुअर्ट लिटिल को भी एक नासमझ बिल्ले और षड्यंत्रकारी आवारा बिल्लों से मोर्चा लेना पड़ता है. (Cats Make Big Silent)


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सत्तर और अस्सी के दशक की हिंदी फ़िल्मों में उनकी हैसियत शराब और सिगरेट पीने वाली वैंप से ज्यादा न थी. कुछ काली बिल्लियां जेम्स बांड टाइप फिल्मों के देसी संस्करणों में खलनायकों की गोद में खेलती पाई जाती थीं. शत्रु को भांपने की उनमें ग़ज़ब क्षमता होती थी. हमारा खलनायक अपने राइट हैंड से ज्यादा काली बिल्ली के संकेतों पर यकीन करता था. कुछ बिल्लियां जान जाती थीं कि किस गिलास में जहर मिलाया गया है और उसे पलक झपकते गिरा देती थीं.

बिल्लियों को रहस्यमय इसलिए माना गया क्योंकि ऐतिहासिक तथ्य भी इसी तरफ इशारा करते हैं. प्राचीन इजिप्ट में लोग सोचते थे कि कैट्स दूसरी दुनिया और हमारी वास्तविक दुनिया के बीच आवाजाही करती हैं. वहां छह हजार साल पुराने पिरामिड में बिल्लियों की ममी का मिलना भी एक रहस्य है. बिल्ली के नौ जन्मों की कहानी भी बहुत मशहूर है, कहा जाता है कि बीते जन्म की स्मृति लेकर दोबारा दुनिया में आने की वजह से ही वे इतनी रहस्यमय और विचारमग्न लगती हैं.

नौ जन्मों का मामला भी बहुत अजीबो-गरीब है. नौ की संख्या किसी संख्या से गुणा करने पर नौ के नंबर का दोबारा जन्म हो जाता है. नौ एक एक ऐसा नंबर है जो कभी खत्म नहीं होता. बिल्लियां भी शायद नौ जन्म के बाद देवताओं की सेवा करने चली जाती हैं. (Cats Make Big Silent)


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 कुछ यूरोपीय देशों में तो कैट्स के मौजूदगी में कोई गोपनीय बात नहीं की जाती, माना जाता है ये राज़ अपने दिल में रखती हैं और उसे दूसरी जगह पहुँचा सकती हैं. लेकिन इतनी असाधारण योग्यताओं के बावजूद भारतीय समाज में बिल्लियों की दुनिया बहुत सीमित थी और कुल मिलाकर उनके प्रति हमारा दृष्टिकोण भी बहुत संकुचित था. बिल्लियों की कोई आइडेंटिटी नहीं थी. बल्कि उनके प्रति पूर्वाग्रह ज्यादा था.

उन्हें मनहूस माना जाता था. लोग उनके देखकर रास्ता बदल देते थे, बच्चे डरते थे और महिलाएं भी नाराज़ ही रहती थीं, उन्हें लगता था कि अड़ोस-पड़ोस में विचरण करने वाली इन बिल्लियों का काम घरों में दूध का पतीला गिराना ही है. (Cats Make Big Silent)

गोरखपुर के पुराने घर में रहते हुए बहुत छुटपन में जब बिल्ली मुझे चीते के बराबर नज़र आती थी तो मेरा पाला उनसे कई बार पड़ा. वो डर ऐसा मन में बैठा कि उसके बाद काफी समय तक अगर भागती हुई बिल्ली पटलकर एक बार आँखों में आँखें डालकर देख लेती तो बेवजह रोंगटे खड़े हो जाते थे. (Cats Make Big Silent)


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बिल्ली कद-काठी में भले छोटी हों रुतबे में बाघ की चाची होती हैं. जैसे बच्चे अपनी मम्मियों से कुछ बातों के लिए बड़े होने के बाद भी डरते हैं, वैसे ही बिल्लियों का भी मामला है. अब भले लोग ये बात स्वीकार करें या न करें. मूँछ पर बेवजह अकड़ने वाले भारतीय मर्दों को बिल्लियों की मूंछ के ताव देखने चाहिए. ‘कैट्स एंड डॉग्स’ का जब हिंदी संस्करण आया तो उसका टाइटल ही था, ‘तेरी मूँछ, मेरी पूँछ’.

इतना करीब रहने के बाद भी बिल्लियों से मनुष्य की दूरी की शायद एक वजह यह भी है कि वे मन के भाव आसानी से व्यक्त नहीं करतीं. कुत्ते जो सोचते हैं वह उनकी पूंछ और उनकी आँखें बता देती हैं. मगर एक बिल्ली क्या सोच रही है यह पता लगाना बहुत कठिन है. वह सहज प्रतिक्रिया नहीं देती. गारफील्ड जैसा आलसी बिल्ला भी आसानी से अपने पत्ते नहीं खोलता. (Cats Make Big Silent)

लेकिन वक्त के साथ जैसे मनुष्यों का डीएनए बदला है, बिल्लियों का भी बदला है. बहुत साल पहले मैंने सुना कि मुंबई के घरों में बिल्लियां पाली जाती हैं तो बहुत हैरानी हुई. मुंबई में कुछ भी हो सकता है, यह सोचकर इस पर खास ध्यान नहीं दिया. धीरे-धीरे यूट्यूब का ज़माना आया और हमें बिल्लियों के जीवन का दूसरा पहलू देखने को मिला. हमने देखा कि बिल्लियां कैसे शरारत करती हैं.

बच्चों की किताबों में तो हमने उनको ऊन के गोले से खेलते और शरारत करते देखा था मगर बंद दरवाजों के पीछे ‘सीक्रेट लाइफ ऑफ कैट्स’ तो यूट्यूब से ही देखने को मिला. कार्टूनिस्ट जिम डेविस को जब उनके एडीटर ने एक नया किरदार गढ़ने को कहा तो उन्हें लगा कि कार्टून स्ट्रिप की दुनिया में कुत्ते सफल हैं मगर कोई बिल्ला नहीं है. (Cats Make Big Silent)


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उन्होंने बचपन के अपने फार्म हाउस की बिल्लियों से प्रेरित होकर गारफील्ड की रचना की. बिल्ले में इतना दम था कि 2002 तक गारफ़ील्ड दुनिया की सबसे सिंडिकेटेड पट्टी बन गई, और गारफील्ड 2,570 अखबारों में 263 मिलियन पाठकों तक पहुँचने लगा.उसके बाद ‘पूस इन बूट्स’ जैसी शानदार एनीमेशन फिल्म में बिल्ला नायक बनकर आया. जो यूँ तो धीरोदात्त नायक था मगर ‘दिल से बिल्ली’ ही था. इस तरह बिल्ली के दिल को समझने में मदद मिली.

फिर एक दिन बिल्लियां फेसबुक पर आईं. हमारे आसपास के समाज से बिल्लियां उठकर आईं और सोशल मीडिया के जरिए दुनिया भर में छाने लगीं. हमने पाया कि बिल्ली झलक भर से भौंक-भौंककर हलकान होने वाले कुत्ते भी उनके साथ दोस्ताना रिश्ते रखते हैं. चूहे भी बिल्लियों से कुछ खास नहीं डरते. (Cats Make Big Silent)

अब बिल्लियां दोस्तों के घरों में सोफे पर आराम फरमाती नज़र आती हैं. कुत्ते डाउन मार्केट होते जा रहे हैं. बिल्लियों अपने को ख़ास बनाया है. आखिर वे नौ हजार साल ( फिर से नौ ? ) से मनुष्यों के साथ हैं. अब वे बौद्धिक लोगों के बीच अपनी जगह बना रही हैं. लेखकों और कलाकारों के बीच बिल्लियां ही लोकप्रिय हैं. अक्सर किताबों की रैक के पास नज़र आती हैं.

मुझे पूरा यकीन है कि बिल्लियां रात में इन किताबों को पढ़ती भी हैं. अपने ‘सुपीरियर नाइट विज़न’ की वजह से उनको लैंप जलाने की जरूरत भी नहीं पड़ती होगी. प्राचीन इजिप्ट के फिरौन इतने ताकतवर थे कि खुद को ख़ुदा मान बैठे थे, मगर वे भी बिल्लियों से डरते थे. बिल्लियां शायद अब आने वाली दुनिया को बचाने की तैयारी में हैं. (Cats Make Big Silent)

(दिनेश श्रीनेत की फेसबुक वॉल से साभार)


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