जहाँ एक तरफ दक्षिणपंथी राजनीतिक समूहों में दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को काफी हर्षोल्लास के क्षण के रूप में देखा जा रहा है वही देश के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जे.एन. यू.), नई दिल्ली, सरीखे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में राम मंदिर के प्रकरण से उपजे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का पुरजोर विरोध भी किया जा रहा है.(Jawaharlal Nehru University)
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होने के बाद जे.एन. यू. के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के पास जे.एन. यू. छात्र संघ के आवाहन पर भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया. मौके पर जे.एन. यू. के कम्पेरेटिव पॉलिटिक्स एंड पॉलिटिकल थ्योरी की प्राध्यापिका निवेदिता मेनन एवं कुछ अन्य प्रोफेसर भी मौजूद रहे.
चूँकि कुछ दक्षिणपंथी राजनीतिक घटकों के लिये राम मंदिर का उद्घाटन इस बात का संकेत है कि संप्रभुता संपन्न समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष भारतीय गणराज्य हिंदू राष्ट्र बनने की ओर प्रशस्त हो गया है, जे.एन.यू. के छात्रों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ करके इस बात को फिर से बुलंद करने की कोशिश कि देश के समझदार नागरिक अभी भी भारतीय गणराज्य के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के लिए दृढ़ संकल्पित है.(Jawaharlal Nehru University)
कार्यक्रम में प्रोफेसर निवेदिता मेनन ने छात्रों को संबोधित किया और हुए कुछ ही दिन पहले प्रकाशित हुयी अपनी किताब ‘सेक्यूलिज्म एज मिस-डायरेक्शन’ के कुछ पाठों का हवाला देते हुए भारतीय संवैधानिकता एवं नागरिक बोध पर प्रकाश डाला. प्रोफेसर मेनन ने अपने वक्तव्य में साफ कहा कि भारतीय गणराज्य को किसी भी प्रकार के हिंदू राष्ट्र में बदलने की कोशिश संवैधानिक मूल्यों के साथ बेईमानी होगी.(Jawaharlal Nehru University)
(लेखक जेएनयू में समाजशास्त्र के विद्यार्थी रहे हैं और स्वतंत्र पत्रकार के रूप में सक्रिय हैं.)