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Tuesday, January 7, 2025
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वैदिक काल था ही नहीं ? पुस्तक समीक्षा “वैदिक युग का घालमेल”

आपने अक्सर सुना होगा कि वेद लाखों वर्ष पुरानी पुस्तक है, भारत का सबसे पुराना इतिहास वेद से शुरू होता है। भारतीय इतिहासकार भी सिंधु घाटी की सभ्यता के बाद वैदिक सभ्यता को ही स्थान देते हैं। देश भर के ब्राह्मण पण्डे पुजारी ब्राह्मण दर्शन और ग्रंथों को लाखों वर्ष पुराना बताते हैं। लेकिन क्या सच में वेद भारत की सबसे प्राचीन पुस्तक है? क्या सचमुच वेद लाखों वर्ष पुराने हैं? क्या सचमुच सिंधु घाटी सभ्यता के बाद वैदिक सभ्यता आती है? क्या वेदों को प्राचीन कहने के पीछे कोई साक्ष्य है या सिर्फ साहित्यिक ग्रथों के आधार पर ऐसे दावे किये जा रहे हैं ? इस वीडियो में हम प्राचीन भारतीय इतिहास के विशेषज्ञ राजीव पटेल जी की पुस्तक “वैदिक युग का घालमेल” के आधार पर प्राचीन भारत के इतिहास के कुछ तथ्य आपके सामने प्रस्तुत करेंगे।(Was there no Vedic period?)
किसी भी देश का प्रामाणिक इतिहास लिखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य पुरातात्विक साक्ष्य होते हैं। राजीव पटेल की पुस्तक वैदिक युग का घालमेल में पुरातात्विक इतिहास के आधार पर प्राचीन भारत के इतिहास की गहन विवेचना करती है। पुस्तक की भूमिका में ही राजीव पटेल लिखते हैं “वर्तमान काल में बौद्ध संस्कृति और वैदिक काल की प्राचीनता को लेकर मत-भिन्नता है। इन दोनों संस्कृतियों को लेकर अधिकांश लोगों के मन में प्रश्न पैदा होता है कि दोनों में पहले कौन सी संस्कृति स्थापित हुई? इस मत-भिन्नता के दो कारण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। प्रथम अधिकांश लेखकों द्वारा उत्खनन से प्राप्त साक्ष्यों के निर्विकार अवलोकन की कमी तथा द्वितीय बौद्ध धर्म और वैदिक धर्म में जो धर्म धातु है उस धर्म धातु की सही विवेचना और समुचित शाब्दिक अर्थों का अभाव।”
पुस्तक का मुख्य मकसद इसी बात की विवेचना करना प्रतीत होता है आखिर कौन सी संस्कृति पुरानी है बौद्ध या वैदिक। पुस्तक में यह भी बताया गया है की किस प्रकार पुरातात्विक साक्ष्यों को तोड़ मरोड़कर वैदिक सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के काल में स्थापित करने की कोशिश होती है। पुस्तक वैदिक काल के पूर्णतया काल्पनिक और साहित्यिक होने का दावा करती है। पुस्तक भारतीय इतिहास के बड़े घोटाले को उजागर करती है जहाँ कुछ पुरोहितों के द्वारा एक पूरी संस्कृति का रूपांतरण कर दिया जाता है। पुस्तक बताती है की किस प्रकार बौद्ध संस्कृति और बौद्ध प्रतीकों का रूपांतरण कर वैदिक वैष्णव शैव शाक्त आदि काल्पनिक धारणाओं को खड़ा किया गया। (Was there no Vedic period?)
पुस्तक में राजीव पटेल भारतीय इतिहास के लेखन को तीन भागों में बांटते हैं। मान्यतावादी इतिहास, शैक्षणिक इतिहास और उत्खनन अर्थात पुरातात्विक खुदाई के आधार पर लिखा जाने वाला इतिहास। किस प्रकार बौद्ध संस्कृति एवं उसके प्रतीकों का घालमेल कर मान्यतावादी इतिहास बनाया गया है पुस्तक उस घालमेल का पुरातात्विक इतिहास के आधार पर पर्दाफाश करती है।
लेखक पुरातात्विक इतिहास के आधार पर ही वैदिक काल के 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व को पूरी तरह काल्पनिक मानते हैं एवं वैदिक काल को मानने वाले इतिहासकारों से वैदिक काल के पुरातात्विक प्रमाण मांगते हैं। लेखक दावा करते हैं की वैदिक काल का कोई भी पुरातात्विक प्रमाण आजतक नहीं मिला है।
लेखक चाणक्य को भी काल्पनिक मानते है और उसके होने का कोई प्रमाण न होने की बात कहते हैं। राजीव पटेल कहते हैं कि यदि वेदों का ज्ञान बौद्ध संस्कृति से पुराना है तो प्राचीन भारत के बड़े बड़े शिक्षण संस्थानों से उसकी कोई भी पुरातात्विक प्रति, शिलालेख, ताम्रपत्र आदि क्यों नहीं प्राप्त होते हैं? सिंधु घाटी के सभ्यता से 850 ईस्वी तक संस्कृत भाषा का कोई पुरातात्विक प्रमाण न होने की बात भी कही गयी है। (Was there no Vedic period?)
लेखक विस्तार से बताते हैं की किसी प्रकार बौद्ध सभ्यता के पुरातात्विक मूर्तियों, मंदिरों, विहारों पर कब्ज़ाकर उनका रूपांतरण कर 1000 ईस्वी के बाद वैष्णव शैव शाक्त अर्थात ब्राह्मणी वैदिक संस्कृति को खड़ा किया गया है। लेखक वैदिक संस्कृति द्वारा कब किस बौद्ध मंदिर पर कब्ज़ा किया गया यह भी बताते हैं।
लेखक विस्तार के साथ साक्ष्य देकर बताते हैं की पुरी का जगन्नाथ मंदिर, तिरुपति मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, केदारनाथ मंदिर, पशुपति नाथ मंदिर आदि सभी बौद्ध विरासत को रूपांतरित कर वैष्णव, शैव, शाक्त मंदिरों में परिवर्तित किये गए हैं। शैव, वैष्णव, शाक्त सम्प्रदाय अवलोकितेश्वर बुद्ध की मूर्तियों पर कब्ज़ा कर बने हैं और शिव लिंग बौद्ध स्तूपों पर कब्ज़ा कर बनाये गए हैं। (Was there no Vedic period?)
राजीव पटेल द्वारा लिखी गयी वैदिक युग का घालमेल एक शानदार पुस्तक है जो प्राचीन भारत के इतिहास की गहन पुरातात्विक विवेचना करती है और दूध कर दूध पानी का पानी कर देती है। हर जागरूक भारतीय नागरिक को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए इसे पढ़कर आप प्राचीन भारत का असली इतिहास जान सकता हैं और ब्राह्मण पंडा पुरोहितों के भ्रमजाल से मुक्त हो सकता हैं।
-संतोष शाक्य, राज्य प्रमुख, इंडस न्यूज़ टीवी, उप्र & उत्तराखंड

संतोष शाक्य Indus News के सहसंपादक के साथ उत्तर प्रदेश के प्रमुख भी हैं। संतोष शाक्य पत्रकार के साथ एक अच्छे लेखक एवं सामाजिक चिंतक भी है, वे समाज हित में देश के वंचित तबकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लिखते रहते हैं।

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Santosh Shakya
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संतोष शाक्य Indus News TV के सह-संपादक (Associate Editor) एवं चैनल के उत्तर प्रदेश & उत्तराखंड राज्य प्रमुख (UP/Uttarakhand State Head) हैं। संतोष शाक्य उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड यूनिवर्सिटी बरेली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं। विज्ञान के साथ इतिहास, सामाजिक विज्ञान, राजनीति, धम्म, दर्शन एवं अध्यात्म आदि संतोष शाक्य के पसंदीदा विषय हैं। इसके साथ संतोष शाक्य एक एंटरप्रेन्योर, मोटिवेशनल स्पीकर, लेखक, विचारक, पत्रकार, Life कोच, आध्यात्मिक शिक्षक भी हैं। जो मोटिवेशन, बिजनेस प्रमोशन, वेलनेस टॉक & Meditation के जरिए लोगों की मदद करते हैं। इसके साथ संतोष शाक्य एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी के संचालक भी हैं। संतोष शाक्य के द्वारा कवर की गयी प्रमुख स्टोरी एवं उनके लेख पढ़ने के लिए आप Indus News TV की वेबसाइट https://www.indusnewstv.com को लॉग-ऑन कर सकते हैं। संतोष शाक्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप उनकी वेबसाइट https://www.santoshshakya.com भी विजिट कर सकते हैं।
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