Indus News TV Live

Sunday, December 22, 2024
spot_img

ईरान में मरियम एवं मार्जिया को मुसलमान से ईसाई बनने पर जेल क्यों भेज दिया गया?

संतोष शाक्य, सहसंपादक, Indus News TV


1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई जिसके बाद ईरान एक कट्टर शिया इस्लामिक देश बन गया। ईरान की क्रांति के बाद से ही ईरान के शिया मुसलमान बड़ी संख्या में ईसाई बन रहे हैं। इस लेख में मैं आपको ऐसी ही दो ईरानी महिलाओं की कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिनका जन्म मुस्लिम परिवार में हुआ लेकिन ईरान की कट्टर शिया इस्लामिक सरकार एवं ईरान के कट्टर इस्लाम से त्रस्त होकर ईसाई बन गईं।
कभी ईरान एक खूबसूरत देश हुआ करता था जहाँ महिलाओं को पुरुषों को बराबर अधिकार प्राप्त थे। 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई जिसका उद्देश्य ईरान में अमेरिकी हस्तक्षेप को कम करना था लेकिन क्रांति की सफलता के बाद अमेरिका का हस्तक्षेप कम हुआ या नहीं हुआ इसपर लम्बी चर्चा की जा सकती है, लेकिन एक चीज़ जो अच्छी नहीं हुई वह है महिलाओं के अधिकार का ख़त्म हो जाना। 2022 में ही आपने देखा था की नक़ाब न पहनने के कारण 22 वर्षीय माशा अमिनी को गिरफ्तार किया गया और पुलिस कस्टडी में माशा अमिनी की मौत हो गयी जिसको लेकर महिलाओं ने पूरे ईरान में नक़ाब के खिलाफ एवं सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। पुलिस कस्टडी में माशा अमिनी की मौत के बाद सैंकड़ों ऐसे मामले हो चुके हैं जहाँ मोरल पुलिस शरीया कानून का पालन न करने पर महिलाओं को प्रताड़ित करती है।
लेख में हम जिन दो महिलाओं की बात कर रहे हैं वे हैं मरियम रूस्तमपोर एवं मर्जिया अमीरज़ादा। इन दोनों महिलाओं का जन्म ईरान में हुआ, इसके साथ ही मुस्लिम परिवार में हुआ, लेकिन ईरान की सरकार के नजरिये से असहमत होकर एवं इस्लामिक मान्यताओं से अलग होकर इन दोनों ने ईसाई धर्म अपना लिया। ईसाई धर्म अपनाने एवं ईरान में ईसाई धर्म प्रचार करने के कारण इनको ईरान की जेल में भी रहना पड़ा। मरियम एवं मर्जिया बताती हैं की ईरान में आप इस्लाम के अलावा किसी धर्म का प्रचार नहीं कर सकते, खुले में चर्च चलाने की भी अनुमति नहीं है, मरियम और मार्जिया का ईसाई धर्म से परिचय अंडरग्राउंड चर्च के माध्यम से हुआ।”
मरियम बताती हैं की ईरान में आपको पब्लिक में इस्लाम फॉलो करना ही पड़ता है क्यूंकि यह एक इस्लामिक देश है लेकिन मरियम का परिवार कोई बहुत धार्मिक नहीं था लेकिन मरियम को हमेशा ईश्वर को जानने, समझने और उसके साथ एक आद्यात्मिक सम्बन्ध रखने की इच्छा थी। मरियम ने सभी इस्लामिक नियमों का पालन किया, सभी धार्मिक किताबों को पढ़ा लेकिन उनको लगा ही नहीं की इससे कुछ होगा। मरियम बताती हैं की यह पूरी तरह एक तरफ़ा कनेक्शन था जहाँ ईश्वर कही नजर नहीं आ रहा था फिर उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में सभी इस्लामिक धार्मिक नियमों का पालन करना बंद कर दिया। इसके बाद वह आसमान में देखकर बात करने लगी वह कहती खुदा मुझे रास्ता दिखाओ।
मरियम के लिए सभी रास्ते बंद हो गए थे तभी एक दिन उनकी बहन एक छोटी बाइबिल की पुस्तक लेकर घर आयी जो लगभग 30 पेज की थी, उसने बताया यह ईसाईयत के बारे में है तुम चाहो तो पढ़ सकती हो लेकिन लास्ट पेज मत पढ़ना क्यूंकि यह धर्मान्तरण की प्रार्थना है। मरियम ने अपनी बहन से पुस्तक ले ली और अपने कमरे में जाकर तीन घंटे में उसे पूरा पढ़ डाला और पुस्तक पढ़ने के बाद उसने फील किया की जीसस उससे बात कर रहे हैं, उसे लगा की उसने ईश्वर को पा लिया है। इसके बाद वह 3 घंटे तक रोती रही और जब लास्ट पेज पर पहुंची तो उसने कन्वर्शन प्रेयर पढ़ ली और क्रिस्चियन बन गयी।
लेकिन ईसाई बनना मरियम के लिए कोई फूलों भरा रास्ता नहीं था बल्कि उसने एक ऐसा फैसला ले लिए था जिसमें आगे क्या होगा उसको भी नहीं पता था। वह कहती है कि जीसस के माध्यम से उसने जो पाया था उसको लेकर वह बहुत उत्साहित थी। इसके बाद मरियम ने चर्च जाना शुरू कर दिया और लोगों को ईसाई धर्म और ईसा मसीह के बारे में बताना शुरू कर दिया। इसी बीच मरियम की मुलाकात मार्जिया से हुई और दोनों को लगा की दोनों ही एक जैसे थे और दोनों में ही ईसाइयत को लेकर उसके प्रचार को लेकर उत्साह है।(Maryam and Marziyeh sent to jail in Iran)
मरियम और मार्जिया जानती थीं की बुक स्टोर में बाइबिल बेचना प्रतिबंधित है इसलिए दोनों ने मिलकर ईरान में बाइबिल बांटने का निर्णय लिया और दोनों ने मिलकर 20000 बाइबिल लोगों को वितरित कीं। मरियम और मार्जिया लोगों से बात करतीं लोगों को क्राइस्ट के बारे में बताने के लिए अपने घर पर आमंत्रित करतीं, अपने अपार्टमेंट में ही हाउस चर्च लगातीं। कई वर्षों तक इसी तरह दोनों मिलकर प्रचार करती रहीं। मरियम बताती हैं की ऐसा करते समय उन्हें कभी कोई बुरा अनुभव नहीं हुआ लोग उनकी बात को ध्यान से सुनते थे। दोनों की आस्था इतनी प्रबल थी की कई बार वे मुस्लिम पूजा स्थलों पर जाकर बाइबिल बांटती थीं।
मरियम और मार्जिया अपना काम कर रही थीं लेकिन यह उनके लिए नए खतरे की आहट भी थी इस्लामिक रेवोलुशनरी गार्ड महीनों से उनकी जासूसी कर रहे थे। दोनों को तब बड़ा झटका लगा जब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने उनके अपार्टमेंट में पहुंची। मार्च 2009 में मरियम और मार्जिया को ईरान में ईसाई धर्म अपनांने और ईसाईयत का प्रचार करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद उनको एक दिन पुलिस स्टेशन में रखा गया और बाद में उन दोनों को Even जेल में भेज दिया गया, यह जेल ईरान की एक खतरनाक जेल मानी जाती है।
जेल में पूंछताछ के दौरान मरियम और मार्जिया को डराया धमकाया गया। दोनों को बेसमेंट की काली कोठरी में रखा गया। जब उनको पुलिस स्टेशन में रखा गया तब रात को उनको सोने के लिए गीले कम्बल दिए गए जिनमें पेशाब की बदबू आ रही थी। तब मरियम को समझ आया कि अधिकतर महिलाएं जो इस पुलिस डिटेंशन सेंटर में आती हैं वे प्रोस्टीटूईट हैं या ड्रग एडिक्ट हैं जो ब्लैंकेट में ही पेशाब कर देती हैं। सोने के लिए कोई बेड नहीं था दोनों को गीले कम्बल के फर्श पर सोना पड़ा।
मरियम बताती हैं की ऐसे समय में जब वह बहुत डरी सहमी हुई थीं उस समय जीसस और ईश्वर के प्रति उनकी आस्था ने हालात से लड़ने में उनकी मदद की। Even जेल में मरियम को बहुत सी महिलाएं मिलीं जिन्होंने उन्हें बताया कि किस तरह सरकार के कट्टर धार्मिक नियमों ने उनके जीवन को बर्बाद कर दिया। महिलाओं ने बताया की ईरान में उनको द्वितीय श्रेणी का नागरिक बना दिया गया है जहाँ उनका कोई महत्व नहीं है।
Even Prison, Iran
इसी बीच मरियम और मार्जिया को 14 दिन तक 209 नंबर की सेल में रखा गया जहाँ उनको एक अन्य राजनैतिक कैदी के साथ रखा गया। सेल की लाइट दिन भर खुली रहती थी, छोटी सेल थी, दिन में दो बार खाना मिलता था। इस प्रक्रिया में उनको दिन भर कोठरी में रखा जाता और केवल पूछताछ के लिए ही बाहर ले जाया जाता। सेल नम्बर 209 में मरियम और मार्जिया को जिस राजनैतिक कैदी के साथ रखा गया था उसका नाम “शिरीन अलम होली” था, कुछ दिन बाद ही शिरीन को ईरानी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए फाँसी दे दी गयी। मार्जिया बतातीं हैं की शिरीन का सपना महिलाओं की आज़ादी के लिए लड़ना था, शिरीन महिलाओं के लिए एक आज़ाद ईरान चाहती थीं सिर्फ इसलिए शिरीन को मौत की सजा दे दी गयी। मार्जिया बताती हैं की सरकार ने शिरीन को फाँसी देने के बाद उनका शव भी उनके परिवार को नहीं दिया।
मरियम और मार्जिया निराश हो चुकी थीं उनको जेल से बाहर आने की कोई उम्मीद नहीं थी। लेकिन धीरे धीरे मरियम और मर्ज़िया की गिरफ़्तारी की खबर दुनिया भर में फैलने लगी। ईरानी सरकार पर वेटिकन सिटी और ईसाई लोगों के द्वारा दबाब बनाया जाने लगा। एमनेस्टी इंटरनेशनल भी इस मामले में इन्वॉल्व हो गयी। जेल प्रशासन द्वारा दोनों को एक ऑप्शन दिया गया अगर वे ईसाई धर्म छोड़ दें तो उनको तुरंत रिहा कर दिया जाएगा लेकिन दोनों ने अपनी आस्था बदलने से मना कर दिया। (Maryam and Marziyeh sent to jail in Iran)
मर्ज़िया बताती हैं की भारी अंतर्राष्ट्रीय दबाब के बीच उनको जेल से रिहा किया गया और उसके बाद अंतिम बार अन्य कोर्ट में बात रखने के लिए उपस्थित होने के लिए कहा गया। इसी बीच दोनों के पासपोर्ट दे दिया गया और उन्हें देश छोड़ने का ऑप्शन दिया गया। उनसे कहा गया कि आपको कोर्ट जाने की जरुरत नहीं जल्दी देश छोड़ दो लेकिन मरियम और मार्जिया ने भागने से मना कर दिया उन्होंने कोर्ट जाने का निर्णय लिया।
मार्जिया बताती हैं की कोर्ट पहुँचने पर जज ने उनसे कोई सवाल नहीं किया जज भी जानते थे की यदि वो लोग हमसे पूछेंगे तो हम अपना धर्म ईसाई ही बताएँगे इसलिए जज ने कुछ नहीं पूछा। एक जज को मामले की जानकारी नहीं थी उन्होंने कुछ पूछने का प्रयास किया लेकिन जूरी के हेड जज ने उनको चुप कर दिया, हेड जज ने कहा की कुछ मत पूछो। जज ने कहा की हम आपको छोड़ रहे हैं लेकिन ईरान में आपकी जान को खतरा है पहले भी कई ईसाईयों की हत्या हो चुकी है इसलिए आप देश छोड़ दो।
रिहा होने के बाद मरियम और मार्जिया ने टर्की की फ्लाइट पकड़ी और वे टर्की पहुँच गयीं। एक साल तक मरियम और मार्जिया टर्की में रहीं उसके बाद उन्होंने अमेरिका में शरण मांगी और उन्हें अमेरिका में शरण मिल गयी आज दोनों ही अमेरिका में शरणार्थी के रूप में रह रही हैं। दोनों आज भी पूरे समर्पण के साथ ईसाई धर्म का प्रचार कर रही हैं और ईरान में किस प्रकार महिलाओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित किया जा रहा है इसपर भी मरियम और मार्जिया अपनी बात पूरी जिम्मेदारी से रखती हैं।
संतोष शाक्यसहसंपादकIndus News TV

संतोष शाक्य Indus News TV के सहसंपादक के साथ उत्तर प्रदेश & उत्तराखंड के प्रमुख भी हैं। संतोष शाक्य पत्रकार के साथ एक अच्छे लेखक एवं सामाजिक चिंतक भी है, वे समाज हित में देश के वंचित तबकों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर लिखते रहते हैं।

यह भी पढ़ें: हिंदू कोई धर्म नहीं है बल्कि धार्मिक संप्रदायों का एक समूह है : संतोष शाक्य

यह भी पढ़ें: ईश्वर, धर्म और अध्यात्म ब्राह्मण-पंडा-पुरोहितों के लिए सामाजिक व्यवस्था पर कब्ज़ा करने के औजार मात्र हैं…

यह भी पढ़ें: ब्राह्मणवाद में डूबी कृषक, पशुपालक जातियों ने सामाजिक न्याय की हत्या की : संतोष शाक्य

यह भी पढ़ें: बौद्ध भिक्षु अनागारिक धम्मपाल के कारण विश्व धर्म संसद में बोल पाए विवेकानंद


Santosh Shakya
Santosh Shakyahttps://www.indusnewstv.com
संतोष शाक्य Indus News TV के सह-संपादक (Associate Editor) एवं चैनल के उत्तर प्रदेश & उत्तराखंड राज्य प्रमुख (UP/Uttarakhand State Head) हैं। संतोष शाक्य उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखण्ड यूनिवर्सिटी बरेली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं। विज्ञान के साथ इतिहास, सामाजिक विज्ञान, राजनीति, धम्म, दर्शन एवं अध्यात्म आदि संतोष शाक्य के पसंदीदा विषय हैं। इसके साथ संतोष शाक्य एक एंटरप्रेन्योर, मोटिवेशनल स्पीकर, लेखक, विचारक, पत्रकार, Life कोच, आध्यात्मिक शिक्षक भी हैं। जो मोटिवेशन, बिजनेस प्रमोशन, वेलनेस टॉक & Meditation के जरिए लोगों की मदद करते हैं। इसके साथ संतोष शाक्य एक डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी के संचालक भी हैं। संतोष शाक्य के द्वारा कवर की गयी प्रमुख स्टोरी एवं उनके लेख पढ़ने के लिए आप Indus News TV की वेबसाइट https://www.indusnewstv.com को लॉग-ऑन कर सकते हैं। संतोष शाक्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप उनकी वेबसाइट https://www.santoshshakya.com भी विजिट कर सकते हैं।
Related Articles

Recent